चार्ज शीट

अमेरिकी ऐजेंसियों ने किया बड़ा दावा, इस साल अमेरिका में हुए सायबर हमलों के पीछे रूसी ऐजेंसियां – अमरनाथ यादव (डिप्टी-एडिटर)

Taliban has issued a warning that if NATO forces do not withdraw by August 31, the army will suffer

वाशिंग्टन। अमेरिका में हुए इस साल दो बड़े साइबर हमलों के पीछे रूसी ऐजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया गया है। अमेरिका ने रैनसमवेयर हमलों का मुकाबला करने के लिए एक वर्चुअल सम्मेलन का आयोजन किया है। उसमें भाग लेने के लिए 30 देशों को आमंत्रित किया गया। लेकिन इन देशों में रूस शामिल नहीं है। रैनसमवेयर हमला उन साइबर हमलों को कहा जाता है, जिसके पीछे मकसद फिरौती वसूल करना होता है। ऐसे हमलों में हैकर किसी खास सिस्टम को जाम कर देते हैं और उसे दोबारा चालू करने के बदले बड़ी रकम की मांग करते हैं।
Putin calls Afghan refugees terrorists

इस सम्मेलन के बारे में जानकारी बाइडन प्रशासन के एक अधिकारी ने देते हुए कहा कि रैनसमवेयर हमलों को रोकने के लिए अब अमेरिका अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन इस काम में वह रूस सरकार पर निर्भर नहीं रहना चाहता। अमेरिका अतीत में आरोप लगाता रहा है कि रूस साइबर अपराधियों के गिरोहों को संरक्षण देता है।

एक रिपोर्ट के अनुसार इन साइबर हमलों को लेकर अमेरिका की रूस के साथ भी बातचीत चल रही है। लेकिन ये बातचीत विशेषज्ञों के स्तर पर है। इसकी शुरुआत इस साल के मध्य में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की जिनेवा में हुई शिखर वार्ता के बाद हुई थी। उसी शिखर बैठक में इस बारे में दोनों राष्ट्रपतियों के बीच सहमति बनी थी।

बताते चले कि अमेरिका में अभी जो सम्मेलन चल रहा है, उसमें ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, डॉमिनिकल रिपब्लिक, यूरोपियन यूनियन, नाईजीरिया, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, यूक्रेन, यूएई और कुछ अन्य देशों के अधिकारी भाग ले रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि बीती जुलाई में राष्ट्रपति बाइडन ने एक राष्ट्रीय सुरक्षा दस्तावेज पर दस्तखत किए था,जिसके जरिए अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों को साइबर हमलों का मुकाबला करने की क्षमता विकसित करने का आदेश दिया गया। हाल में बाइडन प्रशासन ने क्रिप्टो करेंसी के जरिए फिरौती चुकाने को अवैध घोषित कर दिया। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को इन्हीं कदमों की अगली कड़ी समझा जा रहा है।

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