इजरायल के घातक फाइटेर एअरक्राफ्ट (फाईल फोटो)
तेल अवीव। मिडिल-ईस्ट में क्या मजाल है कि इजरायल का कोई दुश्मन देश उसके बिना मर्जी के कोई घातक हथियार बना लें,कहने को तो इजरायल सिर्फ अपने ही देश तक सीमित है,लेकिन सच्चाई कुछ और है,पूरे मिडिल ईस्ट पर इजरायल का दबदबा आज भी बरकरार है,इतिहास में इजरायल ने कई देशों के साथ, एक साथ लड़ाईयां लड़ी है और विजयी भी हुआ है, लेकिन इजरायल आज भी कई फ्रंट पर अपने दुश्मन से लड़ाई बदस्तूर लड़ रहा है। इसी कड़ी में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगाम कसने के लिए उसके खिलाफ कड़ा रूख अपनाए जाने को लेकर इजरायल के प्रधानमंत्री ने वैश्वविक समुदाय से अपील की है। बताते चले कि ईरान ने पिछले हफ्ते वियना में वार्ता बहाल होने पर अपने कड़े रूख से पीछे हटने के संकेत दिए और कहा कि पिछले दौर की वार्ता में जो चर्चाएं हुईं थी उन पर फिर से बातचीत हो सकती है।
साथ ही ईरान ने यह भी साफ किया है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम की गति धीमी नहीं कर रहा है, जिसका असर वार्ता पर पड़ सकता है। वियना में हुई वार्ता का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर फिर से प्रतिबंध लगाना है।
ईरान के साथ 2015 के परमाणु समझौते का इजरायल विरोधी रहा है और उसका कहना है कि उसके परमाणु कार्यक्रम पर लगाम कसने में यह कारगर साबित नहीं होगा और इजरायल के साथ लगते देशों में ईरान की सेना की संलिप्तता का समाधान भी इससे नहीं होगा।
हालांकि इजरायल वार्ता में शामिल नहीं है लेकिन वार्ता के दौरान इसने यूरोपीय एवं अमेरिकी सहयोगियों के साथ संवाद कायम रखा। वार्ता इस हफ्ते फिर शुरू होने की उम्मीद है।
यहां एक और रिपोर्ट पर गौर करना होगा कि अभी पिछले साल ईरान के परमाणु वैज्ञानिक को इजरायल की खुफिया ऐजेंसी “मोसाद” ने कैसे मारा था, पूरी दुनिया आजतक समझ ही नहीं पाई कि उस वैज्ञानिक को Dron हमलें में मारा गया या किसी अन्य विस्फोटक से ?
मोसाद का जिक्र यहां इसलिए आवश्यक था,दरअसल मोसाद पूरे मिडिल ईस्ट पर अपनी पैनी नजर रखती है और जबसे ईरान के परमाणु कार्यक्रम का मामला हाईलाईट हुआ है उसके पहले से ही मोसाद अपने टारगेट पर पूरी फील्डिंग लगाकर बैठी है,जो कि समय-समय पर अपने टारगेट को डाउन करती रहती है,अब एक तरफ तो इजरायल, ईरान के साथ डिप्लोमेसी का खेल, खेल रहा है तो वहीं मोसाद भी अपने टारगेट पर पूरी फील्डिंग लगाकर बैठी है, जो कि आने वाले वक्त में किसी भी समय टारगेट को डाउन कर सकती है, जैसे ईराक पर हमला करके उसके न्यूक्लीयर प्लांट को बर्बाद कर दिया गया था, हालांकि ईरान की ऐजेंसियां भी पूरी सतर्कता बरत रहीं है लेकिन ईरान को ध्यान रहना चाहिए कि मोसाद के इतिहास में उसके किसी भी आॅपरेशन के फेल होने का रिकॉर्ड नहीं दर्ज है।