अमेरिकी सेना के स्ट्रेटेजिक कमांड ने चेतावनी दी है कि अमेरिका की तुलना में चीन और रूस अपने परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण बहुत तेजी से कर रहे हैं। इसलिए अगर अमेरिका ने अपने परमाणु रक्षा ढांचे में तुरंत निवेश शुरू नहीं किया, तो ‘दुश्मन की नजर में’ उसकी साख खत्म हो जाएगी। अमेरिकी कांग्रेस (संसद) की रक्षा संबंधी सुनवाई के दौरान ये बातें एडमिरल चार्ल्स रिचर्ड ने कही। रिचर्ड अमेरिका के स्ट्रेटेजिक कमांड के प्रमुख हैं। यह कमांड ही अमेरिका के परमाणु हथियारों की देखरेख करता है।
रिचर्ड ने बताया कि रूस तेजी से अपनी परंपरागत परमाणु क्षमता के विकास और आधुनिकीकरण में जुटा हुआ है। उन्होंने कहा- ‘रूस ये काम 80 फीसदी पूरा कर चुका है, जबकि हम इस मामले में अभी शून्य हैं।’ उन्होंने कहा- ‘ये कहना आज ज्यादा आसान है कि रूस और चीन अपने किन हथियारों का आधुनिकीकरण नहीं कर रहे हैं, वरना इसके कि वे किनका कर रहे हैं।’ यानी रिर्चड ने कहा कि ये देश अपने सभी हथियारों का आधुनिकीकरण कर रहे हैं। रिचर्ड ने कहा कि चीन अपनी परमाणु क्षमताओं को इतनी तेजी से आधुनिक बना रहा है कि हफ्ते भर के अंदर पूरी तस्वीर बदल जाती है। उन्होंने कहा कि हालांकि अभी भी चीन के पास अमेरिका या रूस की तुलना में कम परमाणु हथियार हैं, लेकिन वह उनमें ‘अभूतपूर्व’ बढ़ोतरी कर रहा है।
अमेरिका और रूस के बीच परमाणु हथियारों को सीमित रखने के लिए स्टार्ट संधि हुई थी। तब से दोनों के पास ऐसे लगभग 1500 हथियार हैं। ये हथियार अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों पर तैनात हैं। दोनों देश पनडुब्बियों से भी ऐसी मिसाइलें एक दूसरे पर दाग सकते हैं। हथियारों पर नजर रखने वाली संस्था- स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुमान के मुताबिक चीन के पास ऐसे सिर्फ 320 परमाणु हथियार हैं।
अमेरिका में बाइडन प्रशासन अभी अपने परमाणु हथियारों से संबंधित नीति की समीक्षा कर रहा है। इसके तहत अनुमान लगाया जा रहा है कि परमाणु अस्त्र भंडार का आधुनिकीकरण करने पर कितना खर्च आएगा। कांग्रेस की सुनवाई के दौरान डेमोक्रेटिक पार्टी सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन ने कहा कि समीक्षा का मकसद अमेरिका की रक्षा रणनीति में परमाणु हथियारों का लक्ष्य फिर से तय करना है। 2017 में अमेरिकी कांग्रेस के बजट कार्यालय ने एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि अमेरिकी परमाणु हथियारों के पूरे आधुनिकीकरण और उन्हें अपग्रेड करने पर 1.2 ट्रिलियन डॉलर का खर्च आएगा।
स्ट्रेटेजिक कमांड के प्रमुख की सुनवाई इसी सिलसिले में हुई। उनसे अमेरिका के दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी देशों- रूस और चीन की परमाणु हथियार क्षमता का आकलन पेश करने को कहा गया था। उनके प्रेजेंटेशन से ये सामने आया कि चीन के पास अब पहले की तुलना में कहीं ज्यादा फास्ट ब्रीडर परमाणु रिएक्टर मौजूद हैं। साथ ही उसके पास हथियार बनाने योग्य प्लूटोनियम की बड़ी मात्रा उपलब्ध है। रिचर्ड ने कहा कि जब चीन के पास फास्ट ब्रीडर रिएक्टर और काफी मात्रा में प्लूटोनियम उपलब्ध हैं, तो फिर वह जब फैसला करेगा, तब अपनी परमाणु क्षमता को बढ़ा लेगा।
जानकारों के मुताबिक फास्ट ब्रीडर रिएक्टर को चलाने के लिए जितनी मात्रा में विखंडनीय सामग्री की जरूरत पड़ती है, वह उससे अधिक मात्रा में उनका उत्पादन करता है। रिचर्ड ने जो जानकारी दी उसका मतलब यह है कि चीन संभवतया कहीं अधिक मात्रा में ऐसी सामग्री का उत्पादन कर रहा है, जिनका इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जा सकता है।
