इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

सीक्रेट आपरेशन का बड़ा दावा, IDF ने सिर्फ “हमास” के ठिकानों को हीं किया टारगेट, अन्य दावें भी पूरी दुनिया सहित अमेरिकी खुफिया ऐजेंसियों पर भी पड़ चुके हैं भारी – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


गजा में हमास के ठिकानों पर IDF द्वारा भीषण हमला करने के दौरान,फोटो साभार -(सोशल मीडिया)

गजा/तेल अवीव। इस साल के बीते 7 अक्टूबर को जब फिलिस्तीन समर्थक आतंकी संगठन हमास के आतंकियों ने इजरायल पर हमला करने के दौरान सैकड़ों लोगों को बंधक बनाकर वापस गजा लौट गये तो इजरायल समेत पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया,बता दे कि हमास द्वारा बंधक बनाये गये इन इजरायली नागरिकों के अलावा बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक भी शामिल रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी आतंकी समूह ने गैर इजरायली नागरिकों यानि विदेशियों को भी इजरायल की जमीन से बड़ी संख्या में बंधक बनाकर अपने साथ ले गया। जिसके बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ एक बड़ा मिलिट्री आपरेशन “आयरन-आफ-स्वार्ड” लांच किया।

इजरायल के इस मिलिट्री आपरेशन के लांच होते ही उत्तरी गाजा पट्टी में हाहाकार मच गया, जहां इस दौरान इजरायली एअर फोर्स ने बेहद खतरनाक तरीकों से गाजा में बम बरसाना शुरू कर दिया। वहीं इजरायल के समर्थन में अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के कई बड़े देश भी खुलकर हमास के खिलाफ सामने आये। परिणाम स्वरूप ईरान भी खाड़ी के तमाम देशों सहित दुनिया के कई अन्य मुस्लिम देशों के अलावा अन्य गैर मुस्लिम देशों को भी इजरायल के खिलाफ एकजुट करने में जुट गया। जिससे इजरायल के पड़ोसी देश लेबनान और सीरिया से हमास के समर्थन में हमले शुरू हो गए।

जहां इस बीच तमाम मीडिया रिपोर्ट्स व अन्य रिपोर्ट्स के हवाले से इजरायल के खिलाफ पूरी दुनिया में इजरायल के दुश्मन की तरफ से यह दावा किया जाने लगा कि इजरायल की डिफेंस फोर्स और एअर फोर्स बौखलाहट में गाजा पट्टी में निर्दोष फिलिस्तीनी नागरिकों बच्चो बूढ़ों और महिलाओं को निशाना बना रही है। इतना ही नहीं यहां तक दावा किया गया कि इजरायल अस्पतालों को भी नहीं बखश रहा है। जिससे संयुक्त राष्ट्र भी इजरायल के खिलाफ खड़ा हो गया। वहीं कुछ अन्य रिपोर्ट्स में यह साफ किया गया कि गजा में मौजूद इन अस्पतालों में हमास के आतंकियों का ठिकाना है और वे भारी संख्या में ऐसे अस्पतालों में छिपे हुए भी हैं। इस दौरान इजरायल की तरफ से भी कहा गया कि गजा में सिर्फ हमास के ठिकानों को हीं निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे में इजरायली हमलों को लेकर दोनों हीं तरफ के अपने-अपने दावे होते रहे हैं।

लेकिन, 7 अक्टूबर से लेकर अब तक इस युध्द से जुड़े सभी तरह के रिपोर्ट्स व अन्य सभी तथ्यों का विश्लेषण करने पर “सीक्रेट आपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह ने यह पाया कि इजरायल ने गाजा पट्टी में उन्हीं इमारतों और लोकेशन को टारगेट किया है जहां पर भारी संख्या में हमास के आतंकी मौजूद रहे हैं। क्योंकि,जंग के दौरान भारी संख्या में घायल हमास के आतंकी गजा के इन्ही अस्पतालों में अपना ईलाज कराने के लिए भर्ती हो रहे थे। जहां इन अस्पतालों में लगे सीसीटीवी कैमरों को भी उस वक्त बंद कर दिया जाता था जब हमास के आतंकी यहां मौजूद रहते थे। रही बात सिविलियन की इन अस्पतालों में मौजूदगी की तो सिविलियन सिर्फ ओपीडी के रूप में यहां आते रहे हैं। यानि हमारी पड़ताल में यह पूरी तरह से साफ है कि इन अस्पतालों में ईमरजेंसी में भर्ती रोगियों में लगभग 93 फीसदी घायल हमास के आतंकी हीं रहे थे। जो थोड़ा बहुत हथियार बंद आतंकी यहां मौजूद थे तो वे सिर्फ अपने घायल आतंकी साथी की हिफाजत में।

वहीं,जब ऐसे अस्पतालों के बारे में इजरायली डिफेंस फोर्स को मालूम पड़ता था तो IDF इन अस्पतालों पर हमला करने के लिए घेरा डालकर आम लोगों को यहां से निकल जाने के लिए अल्टीमेटम दे देती थी। लेकिन यहां पहले से ही मौजूद हमास के आतंकी इन आम फिलिस्तीनी लोगों को बतौर कवर के रूप में जबरदस्ती रोकने की कोशिश करते थे। क्योंकि,इजरायली फोर्स को अच्छी तरह से पता होता था कि इन अस्पतालों में जो आम लोग मौजूद है वे सभी सिर्फ और सिर्फ ओपीडी पेशेंट है। जो कि चलने-फिरने में पूरी तरह से सक्षम है, हालांकि कुछ सिविलियन भी ईमरजेंसी में भर्ती रहे थे लेकिन उनकी संख्या मात्र लगभग 5-7 फीसदी ही रही थी।

रही बात गजा के अन्य इमारतों की तो इजरायली ऐजेंसियों को बखूबी मालूम रहता था कि ऐसी इमारतों में सिर्फ और सिर्फ हमास के आतंकी हीं है, यही कारण था कि इजरायल ने ऐसे सभी ठिकानों को टारगेट किया, जिसकी पुष्टि “सीक्रेट आपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह पूरी जिम्मेदारी के साथ करता है। यानि इजरायली हमलों में अबतक हुए जनहानि में हमास की भारी संख्या रही है,हालांकि सिविलियन कैजुअलटी की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता है,लेकिन यह नुकसान बहुत ही कम रहा है। जो कि हमास के कवर के रूप में इस्तेमाल होने के कारण हुआ। जिसके लिए सिर्फ और सिर्फ हमास हीं जिम्मेदार है।

गौरतलब है कि “सीक्रेट आपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह के कई रिपोर्ट व दावें अमेरिका और ब्रिटेन की खुफिया ऐजेंसियों के तमाम खुलासों को झूठा साबित कर चुके हैं। इतना ही नहीं रूस-यूक्रेन जंग से जुड़े कई दावों को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर सीक्रेट आपरेशन मीडिया हाउस ने खारिज करते हुए अपने सभी दावों को सच साबित कर दिखाया है जो कि सीक्रेट आपरेशन के ये सभी दावें अभी तक बरकरार भी है।

दरअसल,जब 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला तभी से दुनिया भर के तमाम मीडिया हाउस व अन्य तमाम रक्षा विशेषज्ञों ने बड़ा दावा कर दिया कि मात्र एक सप्ताह के भीतर हीं रूस यह जंग जीत जायेगा, इतना ही नहीं जब 1 मार्च 2022 को अमेरिका ने एक सेटेलाईट ईमेज के हवाले से यह दावा किया कि लगभग 64 किलोमीटर की एक विशाल रूसी फौज की कानवाई यूक्रेन की राजधानी “कीव” की तरफ बढ़ रही है, जहां अमेरिका के इस खुलासे के आधार पर लगभग पूरी दुनिया एकसुर में कहने लगी कि इस 1 मार्च की देर रात तक कीव पर रूस पूरी तरह से फतह कर लेगा और अगली सुबह यानि 2 मार्च का सुबह का सूरज यूक्रेन नही देख सकेगा।

तब उस समय दुनिया का एकमात्र न्यूज पोर्टल समूह “सीक्रेट आपरेशन” ने रूसी जीत से जुड़े उल्लिखित सभी दावों को पूरी तरह से खारिज करते हुए अपने 1 मार्च 2022 के अंक में यह साफ किया कि देर रात तक रूस “कीव” पर फतह नहीं कर सकेगा और यूक्रेन हर हाल में 2 मार्च यानि अगली सुबह का सूरज देखेगा और यह लड़ाई लंबे वक्त तक चलेगी। आखिरकार “सीक्रेट आपरेशन” का यह दावा पूरी दुनिया पर भारी साबित हुआ और रूस-यूक्रेन जंग अभी भी जारी है। जहां इसी कड़ी में मई 2022 में हीं ब्रिटिश खुफिया ऐजेंसी MI6 के हवाले से यह दावा सामने आया कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन को कैंसर बिमारी है और वे अपने ईलाज के लिए जल्द ही अंडरकवर होंगे, जहां इस दावें को भी “सीक्रेट आपरेशन” समूह ने अपने 16 मई 2022 के अंक में झूठा साबित कर दिया,वहीं सीक्रेट आपरेशन के इस दावें को पब्लिक होने के मात्र कुछ सप्ताह बाद हीं 21 जुलाई 2022 को अमेरिकी खुफिया ऐजेंसी के चीफ “विलियम” ने भी पुतिन के कैंसर संबंधी सभी रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए एक तरह से “सीक्रेट आपरेशन” के दावें पर बड़ी मुहर लगा दिया।

इस बीच दिसंबर 2022 में रूस-यूक्रेन जंग में रूस के गोला-बारूद के खत्म होने की भी रिपोर्ट सामने आई, जिसे “सीक्रेट-आपरेशन” ने अपने 9 दिसंबर 2022 के अंक में खारिज कर दिया और यह दावा आजतक बरकरार हैं। इतना ही नहीं अप्रैल 2023 में चीन द्वारा ताइवान पर हमला किये जाने संबंधी हड़कंप मचाने वाला बड़ा दावा अमेरिकी खुफिया ऐजेंसी की तरफ से किया गया,इसी तरह का दावा अमेरिकी ऐजेंसियों द्वारा आगे भी लगातार किया जाता रहा,जिसे “सीक्रेट आपरेशन” ने अपने 12 जून 2022 के अंक में खारिज करते हुए अमेरिकी खुफिया ऐजेंसी (CIA) को झूठा साबित कर दिया,और सीक्रेट आपरेशन का यह दावा अभी तक बरकरार है,क्योंकि चीन ने अभी तक ताइवान पर हमला नहीं किया।

इतना ही नहीं हाल ही में जब इजरायल जंग शुरू हुआ तो पूरी दुनिया में अमेरिका के खिलाफ रूस के इस जंग में उतरने का कयास लगाया जाने लगा जिसे तमाम तरह के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों ने भी हवा दिया। यहां तक कि पेंटागन भी सशंकित हो गया लेकिन पूरी दुनिया का इकलौता मीडिया समूह “सीक्रेट आपरेशन” ने अपने 13 अक्टूबर 2023 के अंक में अमेरिका और नाटों के खिलाफ इजरायल जंग में रूस के उतरने संबंधी सभी रिपोर्ट्स को सिरे से खारिज कर दिया और रूस अभी तक इस जंग में सामने नहीं आया, जो कि सीक्रेट आपरेशन का यह दावा भी अभी तक बरकरार हैं। इसी तरह के तमाम अन्य दावें भी सीक्रेट आपरेशन की तरफ से पूर्व में किया जा चुका है जो कि सौ फीसदी सच साबित होता रहा है।

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