सांकेतिक तस्वीर।
ताइपे/बीजिंग। चीन-ताइवान के बीच जारी जंगी तनाव के बीच अमेरिकी ऐजेंसियों ने इसी सप्ताह के बीते 3 सितंबर को बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया था। जिसमें अमेरिकी ऐजेंसियों ने अपने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि ताइवान की घेराबंदी के बाद चीन घबरा गया है,घबराहट का आलम यह है कि वो अपने ही सैनिकों की जासूसी करवा रहा है। इतना ही नहीं इस रिपोर्ट में आगे यह भी कहा गया था कि चीन अपने हीं सैनिकों की ब्रेन मैपिंग कराने के साथ-साथ इन सैनिकों को ब्रेसलेट पहनाकर उनका बायोलॉजिकल डाटा भी जमा कर रहा है। चूंकि,चीन को डर था कि अगर वो ताइवान पर हमला करता है तो चीन के सैनिक ताइवान के नागरिकों पर हमला करने से पीछे हट सकते हैं। जहां इस बीच “सीक्रेट आॅपरेशन” न्यूज पोर्टल ने अमेरिकी ऐजेंसियों के इस दावें की पूरी पड़ताल किया और दो नतीजों पर पहुंचा, पहला – अमेरिकी ऐजेंसियों का यह दावा सौ फीसदी सच है तथा दूसरा- चीन की जांच में लगभग 83 फीसदी चीनी सैनिक असफल हुए हैं। शायद यही बड़ी वजह है कि चीन, ताइवान पर आक्रमण करने से हिचक रहा है।
दरअसल, इस सप्ताह के बीते 3 सितंबर को जब चीन के इस करतूत का अमेरिकी ऐजेंसियों ने पर्दाफाश किया तो इसके बाद हीं “सीक्रेट आपरेशन” न्यूज पोर्टल ने भी अमेरिकी खुफिया ऐजेंसियों की इस रिपोर्ट का पूरा विश्लेषण किया तथा वर्तमान में जारी रूस-यूक्रेन जंग के भी उन तमाम रिपोर्ट्स का भी अवलोकन किया जिनमें कि इस तरह से संबंधित तमाम दावें सामने आये थे। जहां इस दौरान सीक्रेट आॅपरेशन न्यूज पोर्टल ने यह पाया कि अमेरिकी ऐजेंसियों द्वारा चीन के बारे में किया गया यह दावा सौ फीसदी तो सही है हीं साथ ही साथ चीन द्वारा अपने सैनिकों की की जा रही जासूसी व अन्य वैज्ञानिक जांच में कम से कम 83 फीसदी चीनी सैनिक असफल साबित हुए हैं जो कि चीन के मिशन “ताइवान” के लिए एक बड़ा झटका हैं। हालांकि,चीन इस जांच की रिपोर्ट को अभी तक दबाकर रखा है ताकि उसकी पोल न खुल सकें।
क्योंकि इन्ही सैनिकों के भरोसे चीन, ताइवान को हमले के जरिए हथियाने का सालों से सपना देख रहा था जो कि अब यह सपना चूर-चूर होता दीख रहा है। दरअसल, चीन अपने सैनिकों की जासूसी व अन्य वैज्ञानिक जांच के जरिए यह जानना चाहता था कि उसकी फौज मानसिक व शारीरिक रूप से ताइवान के साथ लड़ने के लिए कितना तैयार है ? चूंकि, चीन, वर्तमान में रूस-यूक्रेन जंग का हश्र अच्छी तरह से देख रहा है और समझ भी रहा है,क्योंकि रूस-यूक्रेन जंग में यह बात जग जाहिर हो चुकी है कि रूसी फौज पूरे मन से जंग नहीं लड़ रही है और नतीजा पूरी दुनिया के सामने है।
बताते चले कि इस साल के बीते 24 फरवरी से लगातार अब तक रूसी फौज यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़े हुई है। जहां इस दौरान ब्रिटिश ऐजेंसियों व अन्य विशेषज्ञों की तरफ से तमाम चौंकाने वाले दावे सामने आये जिनमें अधिकतर झूठे साबित हुए,लेकिन स्मरण रहे कि इस दौरान सीक्रेट आॅपरेशन न्यूज पोर्टल की तरफ से दो महत्वपूर्ण दावे किये गये जो कि सौ फीसदी सत्य साबित हुए,जिसमें बीते 1 मार्च को जब अमेरिका की तरफ से एक सेटेलाईट ईमेज को जारी करते हुए यह खुलासा किया गया था कि रूसी फौज की करीब 65 किलोमीटर की एक मिलिट्री कानवाई यूक्रेन की राजधानी “कीव” की तरफ बढ़ रही है। जहां इस दावे के सामने आते हीं दुनिया भर के तमाम विशेषज्ञ और मीडिया संस्थान जोर जोर से दावे करने लगे कि बस कुछ घंटों में ही कीव रूसी हमलों में गिर जायेगा और रूसी फौज जंग जीत जायेगी। इतना ही नहीं यह भी कहा गया कि दो मार्च का सुबह का सूरज यूक्रेन नहीं देखेगा। लेकिन उस समय 1 मार्च को “सीक्रेट आॅपरेशन” न्यूज पोर्टल ने उक्त सभी तथाकथित दावें को खारिज करते हुए बड़ा दावा किया कि 2 मार्च का सुबह का सूरज यूक्रेन हर हाल में देखेगा और आने वाले लंबे समय तक यूक्रेन मैदान-ए-जंग में डंटा रहेगा, और जारी हमलों के बीच कीव नहीं गिरेगा। और आज 6 महिने से अधिक हो गया और यूक्रेन की राजधानी “कीव” अभी भी अपनी जगह पर सुरक्षित कायम है। आप चाहे तो सीक्रेट आॅपरेशन न्यूज पोर्टल का 1 मार्च 2022 का अंक लाॅगिन करके क्रास चेक कर सकते हैं।
इसी कड़ी में ब्रिटिश खुफिया ऐजेंसियों के हवाले से यह भी दावा किया गया कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन को कैंसर जैसी गंभीर बिमारी है और वें अपना आॅपरेशन व ईलाज के लिए मॉस्को छोड़कर बाहर जा सकते हैं। बता दे कि ब्रिटिश ऐजेंसी के इस दावें को भी सीक्रेट आॅपरेशन न्यूज पोर्टल ने अपने 16 मई के अंक में खारिज कर दिया था, जहां सीक्रेट आॅपरेशन के इस दावें पर अमेरिकी खुफिया ऐजेंसी के चीफ विलियम बर्न ने अभी हाल ही में मुहर लगाते बयान जारी किया था कि पश्चिमी देशों की मीडिया और खुफिया एजेंसियां पुतिन की बिमारी को लेकर जो दावा कर रही है वह बिल्कुल झूठा और बेबुनियाद है। बल्कि बिलियम ने इस दौरान चुटकी लेते हुए यह भी कहे कि पुतिन तो पहले से कही अधिक स्वस्थ्य दीख रहे हैं।
गौरतलब है कि इस साल के बीते अगस्त के पहले सप्ताह में चीन के लाख ऐतराज़ करने व धमकी देने के बावजूद भी अमेरिकी स्पीकर नैंसी ने ताइपे की यात्रा की थी, जहां इस दौरान चीन भढ़ककर ऐलान ए जंग का बिगुल फूंक दिया था जिसके लिए चीनी नौसेना ताइवान को 6 ओर घेरकर ड्रिल भी शुरू कर दी थी। जहां इस दौरान आये दिन चीन के लड़ाकूं विमान बार-बार ताइवान के एअरस्पेस में घुसपैठ की घटना को अंजाम देते रहे। लेकिन अब ताइवान के लिए राहत भरी खबर यह है कि जंग छेड़ने से पहले चीन द्वारा अपनी फौज के सैनिकों की जासूसी करवाना व अन्य वैज्ञानिक जांच कराने में उसके 83 फीसदी सैनिक असफल हुए हैं जिस वजह से चीन अब ताइवान के साथ युध्द लड़ने में असमर्थ दीख रहा है।