इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

दक्षिण भारत में दुश्मन ऐजेंसी द्वारा एक बार फिर से “लिट्टे” को ऐक्टिवेट करने की साजिश रचने की रिपोर्ट आई सामने, साजिश में शामिल 9 लोगों को NIA ने किया गिरफ्तार – राकेश पांडेय/गौरव बरनवाल


सांकेतिक तस्वीर।

नई दिल्ली। दुश्मन ऐजेंसी ISI द्वारा दक्षिण भारत के तमिलनाडू में फिर से आतंकी संगठन “लिट्टे” को ऐक्टिवेट किये जाने की रिपोर्ट सामने आ रही है। जहां इसी कड़ी में “द आईलैंड ऑनलाइन” नाम की एक वेबसाइट के हवाले से दावा किया गया है कि भारत और श्रीलंका में पाकिस्तान की तरफ से एक गुट को ऑपरेट किया जा रहा है। जो लिट्टे को ड्रग्स और हथियारों की सप्लाई कर रहे हैं।

वहीं, NIA ने भी इस गुट में संलिप्त 9 लोगों को ड्रग्स और हथियारों के साथ गिरफ्तार किया है। जहां NIA ने खुलासा किया कि श्रीलंका का ड्रग माफिया जिसे गुनाशेखरन और पुष्पराजा नाम के दो लोग कंट्रोल करते हैं वो हाजी सलीम नाम के एक पाकिस्तानी ड्रग्स और हथियार सप्लायर के संपर्क में हैं। दरअसल,केंद्रीय ऐजेंसी NIA काफी समय से तमिलनाडू में लिट्टे को जिंदा करने के लिए पाकिस्तान की साजिशों पर नजर रख रही थी।

बताया जा रहा है कि इसी साल के बीते फरवरी में भी लिट्टे को तमिल राष्ट्रवाद से जोड़कर जिंदा करने की साजिश रची जा रही थी। इसके लिए ग्रामीण इलाकों को टारगेट पर रखा जा रहा था। जिसे भारतीय ऐजेंसियों द्वारा नाकाम करते हुए कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जहां जांच में सामने आया था यूरोप से जुड़े ये ऑपरेटिव लिट्टे को फंड करने के लिए पैसा निकालने की फिराक में थे। इतना ही नहीं साजिश में शामिल ये लोग कई एनजीओ के संपर्क में भी थे जिनके जरिए ये तमिल राष्ट्रवाद पर सेमिनार और वेबिनार करवाना चाह रहे थे। बता दे कि इसका खुलासा तब हुआ जब चेन्नई एयरपोर्ट से एक श्रीलंका के नागरिक मैरी फ्रांसिस्का को गिरफ्तार किया गया।

दरअसल, यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी ऐजेंसी ने दक्षिण भारत में लिट्टे को फिर से जिंदा करने की साजिश के हो। इससे पहले भी साल 2014 में NIA ने इसी तरह के एक गुट को एक्सपोज किया था जिसे कोलोंबो में खुद पाकिस्तान का हाईकमिशन कंट्रोल कर रहा था। जो कि देश में कई जगहों पर हमलों के लिए हाई कमिशन इन्हें सुपरवाइज कर रहा था।

मालूम हो कि श्रीलंका में 70 के दशक में लिट्‌टे नाम का एक विद्रोही संगठन उभरा था जो कि श्रीलंका से अलग एक स्वतंत्र “तमिल राष्ट्र” के लिए सशस्त्र विद्रोह कर रहा था। इस संगठन को दुनिया भर के कई देशों का समर्थन भी हासिल था। जहां इसके हिंसक उग्रवाद को रोकने के लिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने श्रीलंका में इंडियन आर्मी भेजा था। हालांकि,वर्ष 2009 में लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन श्रीलंकन आर्मी के एक ऑपरेशन के दौरान मारा गया था। जहां इसके मारे जाने के बाद से हीं यह संगठन हमेशा के लिए हाशिए पर चला गया था। लेकिन इस संगठन को फिर से भारत के खिलाफ जिंदा करने में दुश्मन ऐजेंसी ISI लगातार सक्रिय है।

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