इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

सीक्रेट आॅपरेशन मीडिया हाउस का बड़ा खुलासा, देश में मजहबी तकरार से प्रभावित हो सकती है खुफिया ऐजेंसियों के तमाम सीक्रेट मिशन – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


सांकेतिक तस्वीर।

नई दिल्ली। देश की सुरक्षा की जब भी बात होती है तो आम लोगों के दिल-दिमाग में सबसे पहले सेना फिर पुलिस और उसके बाद खुफिया ऐजेंसियों का जिक्र आता है। लेकिन ये सभी ऐजेंसियां किस तरह से अपना काम करती है ? इस बारे में बहुत कम लोगों को पता होता है,जिसे यहां संक्षेप में तथ्यों के साथ रखा जा रहा है। ताकि आम लोगों को इस बारें में सरलता से जानकारी हो सकें। क्योंकि,हाल के सालों में देश के भीतर आपस में वैमनस्य भाव को बढ़ाने वाली हरकतों को लगातार अंजाम दिया जा रहा है, जिसका सीधा विपरीत असर देश की हिफाजत में लगी ऐजेंसियों से जुड़े लोगों पर पड़ सकता है। जहां इस संबंध में “सीक्रेट आॅपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह तथ्यों के साथ एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट आपके सामने रखने की कोशिश कर रहा है जो सभी देशवासियों के लिए बहुत जरूरी है।

दरअसल,भारत में राज्यों के अधीन पुलिस व राज्य स्तरीय अन्य ऐजेंसियों के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा संचालित खुफिया एजेंसियां होती है,जो कि राज्य से संबंधित लाॅ एंड आर्डर के अलावा उन लोगों पर भी नजर रखी जाती है जो कि संबंधित राज्य व देश के लिए खतरा बन सकते हैं। जहां ऐसे लोगों को उनके द्वारा देश व राज्य के खिलाफ खतरनाक साजिश रचने से पहले ही साक्ष्यों के साथ उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जाता है।

इसी कड़ी में सेना और केंद्रीय खुफिया ऐजेंसियों की भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। जिसमें सेना का प्रयोग अंतिम विकल्प के रूप में किया जाता है जबकि केंद्रीय खुफिया एजेंसियां लगातार बिना रूके अपने काम में लगीं रहती है। तथा आवश्यकतानुसार संबंधित राज्य के ऐजेंसियों के संपर्क में भी रहती है। जहां जरूरत पड़ने पर संबंधित देश विरोधी संगठनों/व्यक्तियों को एक्सपोज करती रहती है। इसी तरह से देश के बाहर भी दुश्मन देशों द्वारा देश के खिलाफ साजिशों का पर्दाफाश करने के लिए देश की खुफिया ऐजेंसियां लगातार सक्रिय रहती है।

बता दे कि संपूर्ण देश के भीतर जो खुफिया ऐजेंसी कार्य करती है उसे केंद्रीय खुफिया ऐजेंसी के तौर पर इंटेलीजेंस ब्यूरो यानि IB कहा जाता है जबकि देश के बाहर जो खुफिया ऐजेंसी काम करती है उसे राॅ कहते है। आम तौर पर यही दो ऐजेंसियां देश की खुफिया ऐजेंसियों के रूप में काम करती है, बाकि इसके अलावा राज्यों की या केंद्रीय स्तर की अन्य सभी ऐजेंसियां बतौर सहयोगी ऐजेंसी के रूप में कार्य करती है।

अब यहां सबसे महत्वपूर्ण विषय यह है कि दुश्मन देशों द्वारा प्रायोजित विभिन्न प्रकार के आतंकी व उग्रवादी संगठनों द्वारा देश के भीतर विभिन्न प्रकार के आतंकी हमलें पिछले कई दशकों से होते चले आ रहे हैं। जहां इस तरह के हमलों को रोकने के लिए देश की सभी ऐजेंसियां लगातार सक्रिय रहती है। ऐसे में देश की ये ऐजेंसियां इन संगठनों पर नजर रखने के लिए कभी-कभी इन्ही संगठनों से संबंधित समुदाय वाले व्यक्तियों को नियुक्त करती है ताकि इन लोगों को शक न हो। यहां तक कि ऐजेंसियों से जुड़े लोग कभी-कभी अपनी जान जोखिम में डालते हुए देश के लिए इन संगठनों में छद्म रूप धारण करके घुसपैठ करके उनके मिशन को फेल कर देते हैं। या गोपनीय रिपोर्ट लीक कर देते हैं जिससे संबंधित ऐजेंसियां समय रहते सतर्क हो जाती है।

ठीक इसी तरह से देश के बाहर भी दुश्मन से संबंधित समुदाय वाले व्यक्तियों को भी वेल ट्रेंड करके दुश्मन खेमे में ऐसे लोगों को भेजा जाता है। यानि इस तरीके से ये ऐजेंसियां देश की हिफाजत में अपने मिशन को अंजाम देने में लगातार जुटी रहती है। अब यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर ऐसे समुदाय वाले व्यक्ति दुश्मन के बीच जाते हैं। इतना ही नहीं ऐसे लोग देश की सुरक्षा से जुड़ी अन्य ऐजेंसियों में कार्य कर रहे हैं। और यहां देश के भीतर इन्ही समुदायों को कुछ गैर सरकारी समूहों द्वारा जब टारगेट किया जायेगा तो जो ऐसे लोग मिशन पर मौजूद है उसके दिल दिमाग में कैसी भावना पनपेगी है ? इसका अंदाजा है किसी को ? क्या ऐसे में मिशन से जुड़े लोग देश के प्रति कितना निष्ठावान बने रह सकते हैं ? इसका जवाब है किसी के पास ?

साफ और सरल भाषा में यह है कि जग जाहिर है कि देश के खिलाफ पाकिस्तान लगातार देश के भीतर और बार्डर पर घातक साजिश रचता रहा है और पाकिस्तान इस्लाम धर्म से संबंध रखता है। जाहिर सी बात है कि पाकिस्तान में जब भी कोई भारतीय ऐजेंट जायेगा तो वह इस्लाम धर्म का हीं होगा, और तो और पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित विभिन्न आतंकी संगठनों में भी जो सीक्रेट ऐजेंट होगा वह भी इस्लाम से संबंधित होगा। और ये लोग किसी लालच में नहीं बल्कि देश प्रेम की भावना में लगातार अपनी जान जोखिम में डालकर दुश्मन के बीच मौजूद रहकर दुर्लभ गोपनीय जानकारियां इकठ्ठा करके ऐजेंसियों तक पहुंचाते रहे हैं। अब ऐसे लोगों से संबंधित समुदाय को जब कुछ गैर सरकारी समूहों द्वारा उस देश में टारगेट किया जायेगा जिस देश के लिए ये लोग जरूरत पड़ने पर जान की कुर्बानी देने से नहीं चूकते,तो समझ सकते हैं कि इन लोगों के दिल-दिमाग में किस तरह की भावना पनप सकती है ? ऐसे में मिशन पर इसका क्या असर पड़ सकता है ? शायद इसका जवाब किसी के पास नहीं होगा ?

अब इन सब बातों को कोई भी अधिकृत ऐजेंसी सार्वजनिक तौर पर कभी नहीं कह सकती। इन्ही सब तथ्यों के आधार पर “सीक्रेट आॅपरेशन” मीडिया हाउस पूरे दावें के साथ कहता है कि इस तरह के “मजहबी तकरार से प्रभावित हो सकती है खुफिया ऐजेंसियों के तमाम सीक्रेट मिशन”। ऐसे में देशवासियों को चाहिए कि वे अनावश्यक अफवाहों से दूर रहकर अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रीय एकता व सौहार्द की भावना को बढ़ावा दे ताकि दुश्मन का कोई भी मिशन हमारे देश के खिलाफ कभी सफल न हो सकें।

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