सांकेतिक तस्वीर।
बीजिंग। हिंद महासागर में दुश्मन की तरफ से जंगी तनाव बढ़ाने की रिपोर्ट सामने आ रही है,जहां दावा किया जा रहा है कि पिछले दिनों चीनी नौसेना के युद्धपोत हिंदमहासागर में देखे गए हैं। जिससे भारतीय रक्षा विशेषज्ञ परेशान हो गए हैं। दरअसल,चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (नेवी) का टास्क ग्रुप-106 27 जुलाई से इंडोनेशिया के सुराबया में मौजूद है। सिर्फ इतना ही नहीं यह ग्रुप हिंद महासागर के अंदर तक दाखिल हो चुका है। इस टास्क ग्रुप में चीन के कई बड़े युद्धपोत मौजूद हैं। यही कारण है कि भारतीय रक्षा विशेषज्ञों ने इसे चीन की आक्रामकता करार दिया।
बताया जा रहा है कि चीन के इस नौसेना के टास्क ग्रुप में कई बड़े युद्धपोत हैं जिसमें एक मॉर्डन डेस्ट्रॉयर भी शामिल है,जो कि यह इस समय हिंद महासागर में मौजूद है। बता दे कि इस डेस्ट्रॉयर को चार साल पहले ही लॉन्च किया गया है। यह काफी बड़ा है और 7500 टन के वजन के साथ हिंद महासागर पर मौजूद है। इसके अलावा जिंगगांग शान जो जमीन और समंदर दोनों ही जगह पर चल सकने वाला ट्रांसपोर्ट जहाज है,वह भी क्षेत्र में मौजूद है। जो कि 25000 टन का यह जहाज पर 800 चीनी सैनिकों के साथ 50 से 60 बख्तरबंद वाहन जिसमें हल्के टैंक्स और हथियार भी शामिल हैं, उन्हें लेकर जा सकता है। यह जहाज एक आधुनिक जहाज है और 12 साल पुराना है।
दावा किया जा रहा है कि चीनी नौसेना हिंद महासागर पर एंटी-पाइरेसी मिशन के तहत मौजूद है जो अफ्रीका क्षेत्र में चलाया जा रहा है। लेकिन यह भी सच है कि चीनी नौसेना यह परख रही है कि ये युद्धपोत क्या लंबी यात्रा में खरे उतर पाएंगे ? साथ ही वह अपने नौसैनिकों को भी परख रहा है। इतना ही नहीं इसी महासागर में चीन का युआन वांग 6 भी मौजूद है। जो कि यह एक सैटेलाइट ट्रैकिंग के अलावा अन्य इलेक्ट्रॉनिक जासूसी उपकरणों से भी लैश जहाज है। जिसे पिछले ही महीने इंडोनेशिया के जकार्ता में देखा गया था।
बता दे कि पिछले दिनों खबर आई थीं कि बढ़ती वैश्विक शक्ति के रूप में चीन अब हर क्षेत्र में मुखर हो रहा है। दक्षिण चीन सागर के क्षेत्रों पर चीन का दावा उसी कार्यप्रणाली का हिस्सा है। अपने दावों को मजबूत करने के लिए चीन ने कंबोडिया में एक नया नौसैनिक अड्डा बनाया है। रिपोर्ट में कहा गया था कि कंबोडिया में चीनी नौसैनिक अड्डा मलक्का स्ट्रेट के करीब है। यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है जो हिंद महासागर को दक्षिण चीन सागर से जोड़ता है। ऐसे में चीन की हरकत साफ करती है कि चीन की मंशा में खोट है। हालांकि, चीन के इस मूवमैंट को लेकर क्वॉड अथवा नई दिल्ली की तरफ से अभी तक कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है। इतना ही नहीं चीन की तरफ से भी इस पर कुछ नहीं कहा गया है।