स्पेशल रिपोर्ट

यूक्रेन का वह आर्मी चीफ जो कि अपनी बेहतरीन मिलीट्री लीडरशिप के चलते दुश्मन को पिछले 46 दिनों से कई फ्रंट पर नाकों चने चबाने पर कर दिया है मजबूर – चंद्रकांत मिश्र/हेमंत सिंह


यूक्रेन के आर्मी चीफ जनरल “वेलेरी” (फाईल फोटो)

कीव। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंसकी ने जब वर्ष 2021 में यूक्रेन आर्म्ड फोर्सेज के चीप पोस्ट पर जनरल “वेलेरी जालुज्नी” को नियुक्त किया था तो वह उस समय इतना उम्मीद नहीं किये होंगे कि भविष्य में दुनिया की सबसे बड़ी मिलीट्री पावर को यह उनका जनरल नाकों चने चबवाने के लिए मजबूर कर देगा। जी हा,आज जनरल “वेलुरी” की हीं कुशल मिलीट्री लीडरशिप की देन हैं कि 72 घंटे के भीतर यूक्रेन पर कब्जा करने वाली रूसी फौज का भ्रम टूट चुका है,यही वजह है कि रुसी सेना पिछले 46 दिनों से यूक्रेन के कई फ्रंट पर जूझती नजर आ रही है,और उसका टास्क अभी भी उससे बहुत दूर है। शायद इसीलिए क्रेमलिन इस दौरान रुसी फौज के कई कमांडरों की छुट्टी कर दिया,रणनीतियां भी बदली गई,जनरल भी बदले जा रहे हैं,यहां तक कि अपनी खूंखार हरकतों के लिए बदनाम चेचन ग्रुप,वैगनर ग्रुप तथा रसिच जैसे बेहद खूंखार व खतरनाक ग्रुपों को भी इस जंग का टास्क दिया गया,अफसोस रूसी फौज की पकड़ से अभी भी यूक्रेन दूर है,हालांकि इस दौरान कुछ सफलताएं रूस को जरूर मिली लेकिन उस पर से भी पकड़ अब ढीली होती दिख रही है।

बता दें कि 48 वर्षीय जनरल “वेलेरी जालुज्नी” वर्ष 2014 से ही दुश्मन के खिलाफ भावी युद्ध की तैयारी में जुट गए थे,जहां वें इस दौरान यूक्रेन की आर्म्ड फोर्सेज में बतौर लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर रहते हुए उन्होंने एक स्पेशल फोर्स की टीम तैयार कर लिये थे जो कि एक विशेष रणनीति के तहत यूक्रेन आर्मी की सभी सैन्य टुकड़ियों को यह टीम अलग-अलग ग्रुपों में बंटकर स्पेशल ट्रेनिंग करवाई,मतलब वर्ष 2021 में यूक्रेन आर्मी के चीप बनने से पहले ही जनरल वेलेरी यूक्रेन की फौज को पूरी ट्रेनिंग कराके पूरी तरह से तैयार कर चुके थे।

दरअसल,वर्ष 2014 में रूसी फौज जब क्रिमिया पर कब्जा करने में सफल हो गई थी तो उसी समय जनरल वेलेरी यूक्रेनियन मिलीट्री को भविष्य में रुसी सेना की मुकाबला करने के मिशन पर जुट गए थे,इस दौरान उन्होंने यूरोपीय देशों व अमेरिका के तमाम मिलीट्री ट्रेनिंग सेंटर का दौरा किये और वापस लौटने पर अपनी सेना को वह ट्रेनिंग दिये कि आज दुनिया की सुपर मिलीट्री पावर कहलाने वाली रूसी फौज को यूक्रेन जंग में अपनी इज्जत बचाने का कोई बहाना नहीं सूझ रहा है।

इसीलिए टास्क से अब तक दूर रहा क्रेमलिन इस दौरान रुसी फौज के कई कमांडरों की छुट्टी करने के साथ-साथ कई अनुभवी जनरलों को इस लड़ाई का कमान सौंपा,अफसोस अभी तक सब बेमानी साबित हुए,हालांकि इस दौरान रुसी सेना को कुछ सफलताएं जरूर मिली लेकिन वह भी हाथ से निकलता जा रहा है। यही वजह रहा कि पुतिन को बेहद मजबूरी में दुनिया भर में अपने खूंखार हरकतों के लिए बदनाम चेचन,वैगनर के अलावा रसिच जैसे बेहद खतरनाक ग्रुपों को इस लड़ाई में शामिल करना पड़ रहा है,लेकिन फिर भी विजय श्री रूस के हिस्से में अभी तक नसीब नहीं हुई,जबकि इस दौरान बुचा नरसंहार जैसा बेहद घृणित घटना व एक रेलवे स्टेशन पर भी मिसाइल हमलों को अंजाम दिया गया,जहां कि आम नागरिक हीं निशाना बने जिनमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे,यानि क्रूरता पर उतरी रुसी फौज व उसके सहयोगी संगठन फिर भी अभी तक यूक्रेन आर्मी चीफ “वेलेरी” की अचूक रणनीति को मात नहीं दे सकी। अब आगे क्या होगा ? यह तो भविष्य के गर्भ में है।

गौरतलब है कि पिछले 46 दिनों से रूस-यूक्रेन के बीच भीषण लड़ाई जारी है,जहां इस दौरान रुसी हमले में यूक्रेन के कई शहर भयानक रूप से मलबे में बदल चुके हैं,वहीं भारी संख्या में यूक्रेन के सैनिकों के अलावा यूक्रेन के आम नागरिक जिनमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल सब हताहत हुए हैं,जहां अभी भी लोग भारी संख्या में घायलावस्था में अस्पतालों में भर्ती है,रुसी हमलों के भय से करीब 45 लाख यूक्रेनियन नागरिक देश छोड़कर पड़ोसी देशों में शरण ले रखें।

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