सांकेतिक तस्वीर।
चंडीगढ़। पंजाब में जारी माइनिंग देश की सुरक्षा ऐजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरी है,जो कि बार्डर पर तैनात BSF या आर्मी के लिए एक बड़े खतरे के रूप में सामने आई है। दरअसल,गुरूवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान इंडियन आर्मी की तरफ से 5 पॉइंट की रिपोर्ट सबमिट की गई है। जिसमें कहा गया कि भारत-पाकिस्तान इंटरनेशनल बॉर्डर पर बने सैन्य बंकरों को माइनिंग से बेहद गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। यह बंकर अमृतसर से गुजरते बॉर्डर पर हैं। और इन बंकरों के ऊपर से रोजाना सैकड़ों ट्रक गुजरते हैं,जिससे ये जमीन में बंकर धंस रहे हैं।
बार्डर पर बने अंडरग्राउंड सैन्य बंकरों के बारे में आर्मी की तरफ से दावा किया गया कि इससे बंकर कमजोर हो रहे हैं। वहीं आमने-सामने की लड़ाई होती है तो फिर इनसे जवाबी हमले में दिक्कत हो सकती है। यही नहीं, माइनिंग की वजह से बारिश में पानी का बहाव बदल सकता है। इससे बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं। ऐसा हुआ तो इससे इन बंकरों के नष्ट होने का खतरा है। वहीं,इस मामले में हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से रिपोर्ट तलब की थी लेकिन सरकार ने आज फिर से तारीख ले लिया।
जबकि इससे पहले हाईकोर्ट ने गुरदासपुर और पठानकोट में वैध-अवैध यानी हर तरह की माइनिंग बंद कर दी है। यहां भी बीएसएफ और आर्मी ने माइनिंग पर सवाल उठाए थे। बीएसएफ ने कहा था कि यहां माइनिंग करने वाले लोग कौन हैं? इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। दिन-रात माइनिंग हो रही है। माइनिंग की आवाज की वजह से पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन के बारे में पता नहीं चलता।
अब इस पूरे प्रकरण पर बेहद गंभीरता से गौर करने पर यह साफ हो जाता है कि देश की सुरक्षा ऐजेंसियों के पास इस मसले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाने का पूरा अधिकार है और इसे हल करने के लिए भारत सरकार भी संवैधानिक रूप से सक्षम है लेकिन इसके बावजूद सेना को संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय में गुहार लगानी पड़ रही है,बेहद हैरान कर देने वाली बात है,क्योंकि यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय है,जिसमें राजनीति कतई नहीं की जानी चाहिए।